भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं में सावन का महीना विशेष महत्व रखता है। विशेष रूप से भगवान शिव के भक्तों के लिए यह महीना आस्था, भक्ति और व्रतों से परिपूर्ण होता है। सावन के हर सोमवार को ‘सोमवार व्रत’ रखा जाता है, जिसे सावन सोमवार कहा जाता है।
यह व्रत न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह आत्मिक शुद्धि, मानसिक शांति और इच्छाओं की पूर्ति का भी माध्यम माना जाता है। आइए जानते हैं कि सावन के सोमवार 2025 में कब से शुरू हो रहे हैं और इस व्रत को कैसे करना चाहिए।
हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन माह की गणना चंद्र मास के अनुसार की जाती है। साल 2025 में सावन माह की शुरुआत 10 जुलाई 2025 (गुरुवार) से हो रही है और यह 8 अगस्त 2025 (शुक्रवार) तक रहेगा।
इस प्रकार सावन के सोमवार की तिथियां इस प्रकार हैं:
क्रम | दिनांक | दिन |
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1 | 14 जुलाई 2025 | पहला सोमवार |
2 | 21 जुलाई 2025 | दूसरा सोमवार |
3 | 28 जुलाई 2025 | तीसरा सोमवार |
4 | 4 अगस्त 2025 | चौथा सोमवार |
कुछ स्थानों पर यदि अधिकमास या पंचांग भिन्नता होती है, तो सोमवार की संख्या पांच भी हो सकती है, लेकिन अधिकतर जगहों पर चार सोमवार ही माने जाते हैं।
🙏 सावन सोमवार का महत्व क्यों है?
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सावन भगवान शिव को समर्पित महीना है।
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मान्यता है कि सावन सोमवार को व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
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कुंवारी कन्याएं इस व्रत को विशेष रूप से अच्छे वर की प्राप्ति के लिए रखती हैं।
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शिवलिंग पर जलाभिषेक, रुद्राभिषेक, बेलपत्र अर्पण और व्रत रखने से पापों से मुक्ति मिलती है।
📜 व्रत कैसे करें? (विधि)
सावन सोमवार व्रत की विधि सरल लेकिन श्रद्धा से परिपूर्ण होती है। नीचे स्टेप बाय स्टेप व्रत करने की विधि दी गई है:
1. पूर्व संकल्प और नियम:
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व्रत रखने का संकल्प रविवार रात्रि को लें।
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ब्रह्मचर्य का पालन करें और मानसिक व शारीरिक रूप से शुद्ध रहें।
2. प्रातःकाल स्नान:
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सूर्योदय से पूर्व स्नान करें।
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साफ वस्त्र धारण करें और भगवान शिव की पूजा के लिए तैयार हों।
3. पूजन सामग्री:
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जल, दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल (अभिषेक के लिए)
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बेलपत्र, धतूरा, भांग, सफेद फूल, अक्षत, भस्म, दीप, धूप, फल, मिष्ठान्न
4. पूजा विधि:
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शिवलिंग का जल से अभिषेक करें।
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फिर पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल) से स्नान कराएं।
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बेलपत्र और फूल अर्पित करें। ॐ नमः शिवाय का जप करें।
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भगवान शिव, माता पार्वती, नंदी और गणेश जी की भी पूजा करें।
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व्रत कथा का पाठ करें।
5. व्रत भोजन (उपवास):
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दिनभर निराहार या फलाहार रहें।
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केवल एक बार फल या सात्विक भोजन करें (यदि आप फलाहारी व्रत रखते हैं)।
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लहसुन, प्याज, मांस, शराब आदि का त्याग करें।
6. संध्याकालीन पूजा:
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पुनः दीप जलाकर शिवजी की आरती करें।
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“ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें।
इस सावन, आप भी शिवभक्ति में लीन होकर सावन सोमवार व्रत रखें और भगवान भोलेनाथ की कृपा प्राप्त करें।