हिंदू धर्म में श्रीराधा जी का स्थान अद्वितीय और सर्वोपरि माना जाता है। भगवान श्रीकृष्ण के बिना राधा अधूरी हैं और राधा के बिना श्रीकृष्ण। इन्हें प्रेम और भक्ति की प्रतीक माना गया है। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधा अष्टमी मनाई जाती है। यह दिन श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के ठीक 15 दिन बाद आता है।
राधा जी का जन्म
शास्त्रों के अनुसार राधा जी का जन्म ब्रजभूमि के बरसाना नगर में हुआ था। उनके पिता का नाम वृषभानु और माता का नाम कीर्ति था। कहा जाता है कि जब राधा का जन्म हुआ तब वे नेत्रों से अंधी थीं। किंतु भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें अपने दिव्य दर्शन कराकर दृष्टि प्रदान की। तभी से राधा-कृष्ण का प्रेम संबंध शाश्वत माना जाता है।
राधा अष्टमी का महत्व
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भक्ति और प्रेम की प्रतीक – राधा जी को भक्ति, प्रेम और समर्पण का आदर्श माना जाता है।
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आध्यात्मिक उत्थान – इस दिन उपवास व्रत करने से मनुष्य को आध्यात्मिक बल और शांति प्राप्त होती है।
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सौभाग्य की प्राप्ति – विवाहित स्त्रियां राधा जी की पूजा कर अखंड सौभाग्य और सुखी वैवाहिक जीवन कामना करती हैं।
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मोक्ष की प्राप्ति – मान्यता है कि राधा अष्टमी के दिन व्रत और पूजा करने से पापों का क्षय होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
राधा अष्टमी की पूजा विधि
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प्रातः स्नान – भक्तजन प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करते हैं।
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व्रत – श्रद्धालु इस दिन उपवास रखते हैं और फलाहार करते हैं।
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पूजा सामग्री – राधा-कृष्ण की प्रतिमा को गंगा जल से स्नान कराकर वस्त्र और फूलों से सजाया जाता है।
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मंत्र और भजन – “राधे राधे” नाम संकीर्तन, श्रीराधा स्तुति और श्रीमद्भागवत के पाठ किए जाते हैं।
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आरती और प्रसाद – पूजा के बाद आरती उतारी जाती है और प्रसाद स्वरूप माखन-मिश्री, फल आदि बांटे जाते हैं।
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बरसाना और वृंदावन दर्शन – इस दिन हजारों श्रद्धालु बरसाना, वृंदावन और मथुरा जाकर विशेष दर्शन करते हैं।
राधा जी की महिमा
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श्रीमद्भागवत और पुराणों में कहा गया है कि राधा जी भगवान कृष्ण की आह्लादिनी शक्ति हैं।
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वे प्रेम की वह स्वरूपा हैं जिसके बिना श्रीकृष्ण की लीलाएं अधूरी हैं।
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भक्तजनों का विश्वास है कि राधा नाम का उच्चारण मात्र करने से मनुष्य का जीवन पवित्र हो जाता है।
राधा अष्टमी का उत्सव
बरसाना में इस दिन विशेष उत्सव मनाया जाता है। यहाँ श्री राधा रानी मंदिर में विशाल मेले का आयोजन होता है। भक्तजन झांकी, भजन, संकीर्तन और नृत्य-गान के माध्यम से राधा-कृष्ण की महिमा का वर्णन करते हैं। वृंदावन और मथुरा में भी राधा अष्टमी का विशेष उत्साह देखा जाता है।
राधा अष्टमी केवल एक धार्मिक पर्व ही नहीं बल्कि प्रेम और भक्ति का उत्सव है। यह दिन हमें सिखाता है कि सच्चा प्रेम निस्वार्थ, त्यागमय और ईश्वर भक्ति से युक्त होना चाहिए। राधा-कृष्ण की दिव्य जोड़ी संसार के लिए आदर्श है और उनके नाम का स्मरण करने मात्र से भक्त का जीवन आनंदमय हो जाता है।