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नेपाल में राजनीतिक संकट: सुप्रीम कोर्ट जलाया गया, पीएम ओली का इस्तीफा

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नेपाल में हाल ही में प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली के इस्तीफे ने देश की राजनीति में भूचाल ला दिया है। यह घटनाक्रम एक सोशल मीडिया प्रतिबंध के बाद शुरू हुए विरोध प्रदर्शनों के कारण हुआ, जिसमें कम से कम 19 लोग मारे गए और कई अन्य घायल हुए। प्रधानमंत्री ओली ने 9 सितंबर 2025 को इस्तीफा दिया, जिससे नेपाल एक गंभीर राजनीतिक संकट में फंस गया।

सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स जैसे व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम पर प्रतिबंध लगाने के निर्णय ने युवाओं में आक्रोश पैदा किया। यह कदम सरकार की भ्रष्टाचार और बेरोज़गारी के खिलाफ बढ़ते असंतोष को और बढ़ा गया। ‘जनरेशन Z’ के नेतृत्व में हुए इन प्रदर्शनों ने देखते ही देखते हिंसक रूप ले लिया। प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन, राष्ट्रपति भवन और प्रधानमंत्री के आवास सहित कई सरकारी इमारतों को आग के हवाले कर दिया। पुलिस की कार्रवाई में 19 लोगों की मौत और 1,060 से अधिक लोग घायल हुए।

Nepal Political Crisis

प्रधानमंत्री ओली का इस्तीफा

प्रदर्शनों के बढ़ते दबाव और मंत्रियों के इस्तीफों के बाद, प्रधानमंत्री ओली ने 9 सितंबर 2025 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया और उन्हें एक अंतरिम सरकार बनाने का निर्देश दिया। हालांकि, ओली और राष्ट्रपति दोनों ही सुरक्षा कारणों से सार्वजनिक रूप से अनुपस्थित हैं, जिससे स्थिति और भी जटिल हो गई है।

सेना की भूमिका

राजनीतिक अस्थिरता के बीच, नेपाली सेना ने शांति बहाली के लिए कदम उठाए हैं। काठमांडू और अन्य प्रमुख शहरों में कर्फ्यू लागू किया गया है और सेना ने प्रदर्शनकारियों से बातचीत शुरू की है। कुछ युवा नेताओं ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में समर्थन दिया है, लेकिन कुछ अन्य ने युवा पीढ़ी की अधिक भागीदारी की आवश्यकता जताई है।

भविष्य की दिशा

नेपाल की राजनीति में यह संकट एक महत्वपूर्ण मोड़ है। युवाओं की बढ़ती भागीदारी और भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी आवाज़ ने राजनीतिक दलों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। अंतरिम सरकार के गठन के लिए विभिन्न नेताओं और समूहों के बीच बातचीत जारी है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि कौन सा नेतृत्व स्थिरता की दिशा में पहला कदम उठाएगा।

नेपाल में प्रधानमंत्री ओली के इस्तीफे के बाद की स्थिति देश की राजनीति के लिए एक चुनौतीपूर्ण समय है। युवाओं की सक्रियता और भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी आवाज़ ने यह सिद्ध कर दिया है कि लोकतंत्र में हर नागरिक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। अब यह देखना होगा कि नेपाल की राजनीतिक पार्टियाँ और सेना मिलकर देश को स्थिरता की ओर कैसे ले जाती हैं।

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