गणेश चतुर्थी भारत का एक प्रमुख त्योहार है, जिसे बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। भगवान गणेश को “मोदकप्रिय” भी कहा जाता है। मान्यता है कि श्रीगणेश को मोदक अत्यंत प्रिय हैं, इसलिए गणेश चतुर्थी पर भोग के रूप में मोदक अवश्य बनाए जाते हैं। महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक और गुजरात जैसे राज्यों में इस पर्व के दौरान घर-घर मोदक बनाने की परंपरा है।
मोदक न केवल स्वाद में लाजवाब होता है बल्कि इसका धार्मिक महत्व भी गहरा है। यह प्रसाद भगवान गणेश की कृपा और सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। आज हम आपको मोदक बनाने की विधि विस्तार से बताएंगे ताकि आप भी इस गणेश चतुर्थी अपने घर पर स्वादिष्ट मोदक बना सकें और श्रीगणेश का आशीर्वाद प्राप्त कर सकें।
मोदक के प्रकार
मोदक कई प्रकार से बनाए जाते हैं। सबसे प्रसिद्ध दो प्रकार हैं:
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स्टीम्ड मोदक (उकडीचे मोदक) – यह चावल के आटे से बनता है और भाप में पकाया जाता है। यह सबसे पारंपरिक और स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है।
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तला हुआ मोदक – यह मैदा या गेहूं के आटे से बनाकर तेल/घी में तला जाता है।
आज हम आपको स्टीम्ड मोदक की विधि विस्तार से बताएंगे, क्योंकि गणेश जी का सबसे प्रिय भोग यही है।
सामग्री (Ingredients)
मोदक की बाहरी परत के लिए:
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चावल का आटा – 2 कप
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पानी – 2 कप
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घी – 1 चम्मच
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नमक – एक चुटकी
मोदक की भरावन (स्टफिंग) के लिए:
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नारियल (कद्दूकस किया हुआ) – 1 कप
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गुड़ – 1 कप
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इलायची पाउडर – 1/2 चम्मच
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खसखस (वैकल्पिक) – 1 चम्मच
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ड्राई फ्रूट्स (काजू, बादाम, किशमिश) – 2 चम्मच
मोदक बनाने की विधि
1. भरावन तैयार करना
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सबसे पहले एक कढ़ाई गरम करें और उसमें थोड़ा सा घी डालें।
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अब उसमें कद्दूकस किया हुआ नारियल डालकर हल्का भून लें।
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नारियल भून जाने पर उसमें गुड़ डालें। धीमी आंच पर मिलाते रहें ताकि गुड़ अच्छे से पिघलकर नारियल के साथ मिल जाए।
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अब इसमें इलायची पाउडर, खसखस और कटे हुए ड्राई फ्रूट्स डालें।
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मिश्रण को अच्छी तरह मिलाकर गैस बंद कर दें और ठंडा होने दें।
यह भरावन तैयार है, जो मोदक के अंदर डाला जाएगा।
2. आटे की लोई तैयार करना
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अब एक बर्तन में 2 कप पानी गरम करें। उसमें एक चुटकी नमक और 1 चम्मच घी डालें।
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जब पानी उबलने लगे, तब उसमें धीरे-धीरे चावल का आटा डालें और लगातार चलाते रहें ताकि गाठें न पड़ें।
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आंच बंद कर दें और आटे को ढककर 5-10 मिनट के लिए रख दें।
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अब इस आटे को हाथ में हल्का सा घी लगाकर अच्छी तरह गूंध लें।
यह आटा नरम और चिकना होना चाहिए ताकि मोदक बनाते समय आसानी हो।
3. मोदक का आकार बनाना
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अब आटे से एक छोटी लोई लें और उसे हथेली पर फैलाएं।
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धीरे-धीरे किनारों को पतला करें और बीच में भरावन भर दें।
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भरावन भरने के बाद किनारों को ऊपर की ओर लाते हुए मोदक का आकार दें।
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यदि आपके पास मोदक का सांचा है तो उसका भी प्रयोग कर सकते हैं।
4. मोदक को स्टीम करना
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अब एक स्टीमर या इडली कुकर में पानी गरम करें।
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मोदक को एक चिकनी थाली या केले के पत्ते पर रख दें।
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लगभग 10-15 मिनट तक मध्यम आंच पर स्टीम करें।
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तैयार होने पर मोदक हल्के पारदर्शी दिखने लगेंगे और उनकी खुशबू से घर महक उठेगा।
मोदक बनाने के टिप्स
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आटे को गूंधते समय पानी सही मात्रा में होना चाहिए, वरना मोदक फट सकता है।
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मोदक के आकार देते समय उंगलियों को हल्का पानी या घी से गीला रखें।
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भरावन को ज्यादा तरल न रखें, वरना मोदक बनाते समय बाहर निकल सकता है।
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यदि आपके पास स्टीमर नहीं है तो इडली कुकर या छलनी भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
मोदक का धार्मिक महत्व
हिंदू मान्यता के अनुसार मोदक ज्ञान, सुख और समृद्धि का प्रतीक है। कहा जाता है कि माता पार्वती ने जब भगवान गणेश को अलग-अलग व्यंजन खिलाए तो उन्हें मोदक सबसे अधिक प्रिय लगा। तभी से गणेश जी को मोदक का भोग लगाने की परंपरा शुरू हुई।
मोदक का गोल आकार पूर्णता और एकता का प्रतीक माना जाता है, जबकि इसकी नुकीली चोटी लक्ष्य और ऊँचाई को दर्शाती है।
सेहत के लिए लाभकारी
मोदक न केवल धार्मिक महत्व रखता है बल्कि यह सेहत के लिए भी लाभकारी है।
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नारियल और गुड़ पचने में आसान होते हैं और ऊर्जा देते हैं।
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गुड़ शरीर को डिटॉक्स करता है और खून को साफ करता है।
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नारियल मस्तिष्क के लिए फायदेमंद है।
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इलायची और ड्राई फ्रूट्स शरीर को ताकत देते हैं।
इस तरह मोदक स्वाद और सेहत दोनों का खजाना है।
गणेश चतुर्थी पर मोदक बनाना केवल एक परंपरा नहीं बल्कि भगवान गणेश के प्रति प्रेम और श्रद्धा की अभिव्यक्ति है। जब घर में ताजे स्टीम्ड मोदक की खुशबू फैलती है, तो वातावरण भक्तिभाव से भर जाता है। इस बार गणेश चतुर्थी पर आप भी घर पर मोदक बनाकर बप्पा को भोग लगाएँ और परिवार के साथ इस प्रसाद का आनंद लें।
“गणपति बप्पा मोरया, मंगलमुर्ति मोरया!”