वृंदावन के प्रसिद्ध धार्मिक गुरु प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज (जिन्हें प्रेमानंद जी महाराज के नाम से जाना जाता है) समाज में भक्ति, आध्यात्म और सेवा की प्रेरणा के स्रोत हैं।
हालांकि, अब उनकी स्वास्थ्य स्थिति को लेकर इंटरनेट व सोशल मीडिया पर कई चिंताएँ और चर्चाएँ फैल गई हैं। नीचे कई महत्वपूर्ण बिंदुओं को संक्षिप्त रूप से समझने की कोशिश की गई है:
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सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हुआ, जिसमें प्रेमानंद जी को पूरे शरीर में सूजन और हाथों पर पट्टी बाँधे देखा गया। इससे उनके भक्त और आम लोग चिंतित हो उठे।
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इस वीडियो की सच्चाई उजागर करते हुए, महाराज जी ने स्वयं कहा कि उनकी सेहत ठीक है और वे कोई गंभीर बीमारी नहीं झेल रहे। वे स्पष्ट करते हैं कि हाथों की पट्टियाँ किसी विशेष चिकित्सा प्रक्रिया का हिस्सा हैं, और वायरल वीडियो को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है।
इससे यह स्पष्ट है कि मीडिया पर प्रकाशित तस्वीरें या वीडियो हमेशा पूरे सत्य को व्यक्त नहीं करतीं — अक्सर भावनात्मक दबाव या अंशतः व्याख्याएँ उन्हें बढ़ा-चढ़ा कर पेश करती हैं।
2. किडनी रोग – डायलिसिस की खबरें
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कई हिंदी अखबारों की रिपोर्टें कहती हैं कि प्रेमानंद जी को पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज (PKD) जैसी समस्या हो सकती है। इस रोग में किडनियों में सिस्ट (गुहाएँ) बन जाती हैं, जिनसे किडनी धीरे-धीरे क्षतिग्रस्त होती है।
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कहा जाता है कि उनका डायलिसिस नियमित रूप से हो रहा है। कुछ रिपोर्टों के अनुसार, अब उनकी डायलिसिस रोजाना की जाती है।
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इस कारण उनकी नियमित “पदयात्रा” (जो कि भक्त मार्गों पर चलने की परंपरा है) को फिलहाल बंद कर दिया गया है।
इससे स्पष्ट है कि किडनी संबंधी समस्या उनकी सेहत पर भारी प्रभाव डाल रही है और दैनिक जीवन में बदलाव लाया गया है।
3. दृश्य लक्षण — सूजी आँखें, लाल चेहरा, कांपती आवाज
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समाचारों में यह उल्लेख है कि हालिया वायरल वीडियो में महाराज जी की आँखें सूजी हुईं प्रतीत हो रही थीं, चेहरा लाल दिख रहा था और आवाज़ में हलकी कांप महसूस हो रही थी।
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लेकिन इसके बावजूद, कहा जा रहा है कि महाराज जी ने भक्तों को प्रवचन जारी रखा।
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भक्तों की प्रतिक्रिया में भावुकता झलक रही है — कई लोग कह रहे हैं कि उनके गुरु की सेवा और भक्ति की प्रतिबद्धता से प्रेरित हैं।
ये दृश्य लक्षण बताते हैं कि महाराज जी शारीरिक रूप से काफी कमजोर अवस्था से गुजर रहे हैं, लेकिन मानसिक और आध्यात्मिक दृढता अभी बरकरार है।
4. पदयात्रा का स्थगन
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समाचार यह बताते हैं कि उनकी पदयात्रा को “अनिश्चितकालीन” के लिए बंद कर दिया गया है।
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इस निर्णय के पीछे मुख्य कारक उनकी बिगड़ती स्वास्थ्य स्थिति और डॉक्टरी प्रतिबंध बताए जा रहे हैं।
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इस स्थगन से भक्तों में मायूसी है, क्योंकि वे मार्ग पर बैठकर दर्शन की आशा रखते थे।
पदयात्रा का स्थगन यह संकेत देता है कि अब संत जी को बाह्य गतिविधि में सीमित किया गया है ताकि वे स्वास्थ्य की दृष्टि से आराम पा सकें।
5. समर्थन प्रस्ताव — किडनी दान की घटना
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एक शिष्य ने सार्वजनिक रूप से यह प्रस्ताव रखा कि वह प्रेमानंद जी को अपनी किडनी दान देना चाहता है।
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यह घटना सामाजिक और धार्मिक जगत में चर्चा का विषय बनी। हालांकि, समाचार में यह नहीं स्पष्ट है कि महाराज ने इस प्रस्ताव को स्वीकार किया या नहीं।
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इस प्रस्ताव ने यह दिखाया कि उनके भक्त उनकी सेवा-भावना और समर्पण को बहुत ऊँचे स्तर पर देखते हैं।
6. धमकियाँ और विवाद
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एक अन्य समाचार में कहा गया है कि महाराज को सोशल मीडिया पर जान से मारने की धमकी दी गई।
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इस तरह की घटनाएँ यह भी दिखाती हैं कि सार्वजनिक व्यक्ति होने के कारण विवादों और आलोचनाओं को भी वे झेलते हैं।
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इसके अतिरिक्त, महाराज के कुछ बयानों को लेकर विवाद भी शुरू हुए हैं, विशेषकर महिलाओं पर उनके कथित विचारों पर आलोचना हुई है।
इससे यह खुलकर सामने आता है कि स्वास्थ्य समस्या के अलावा उन्हें समाज, मीडिया और आलोचनाओं का सामना करना भी पड़ रहा है।
7. वर्तमान संदेश और मानसिक स्थिति
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मीडिया कहा रहा है कि महाराज ने भक्तों को एक भावनात्मक संदेश भेजा: “कष्ट है, घबराहट है… लेकिन बहुत कृपा है।”
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उन्होंने यह भी कहा कि भक्तों को निराश नहीं होना चाहिए और उनकी भक्ति की जड़ को स्थिर रखना चाहिए।
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इस बीच, उनकी सकारात्मक दृष्टिकोण और “धैर्य व श्रद्धा” की बात की जा रही है कि यह उनकी सबसे बड़ी ताकत है, क्योंकि उन्होंने कहा है कि मृत्यु की आशंका से भय नहीं होना चाहिए — मृत्यु भगवान से मिलने का मार्ग है।
इन बिंदुओं से यह पता चलता है कि संत जी मानसिक स्तर पर संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन आस्था और सकारात्मकता को बनाए रखने का प्रयास करते हैं।
समग्र दृष्टि से, संत प्रेमानंद जी महाराज गंभीर स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना कर रहे हैं — विशेष रूप से किडनी संबंधी समस्या और आवश्यक डायलिसिस — जिसके कारण उनकी नियमित गतिविधियाँ (जैसे पदयात्रा) फिलहाल बंद हैं।
वायरल वीडियो, सूजी आँखें, पट्टियाँ आदि दृश्य लक्षण उनकी शारीरिक दुर्बलता को रेखांकित करते हैं। तथापि, महाराज जी ने स्वयं कहा है कि वे “ठीक हैं” और वीडियो में दिखाए गए लक्षण किसी जटिल बीमारी का संकेत नहीं हैं।
भक्त और समाज उनकी रक्षा, सेवा और भक्ति का प्रतीक मानते हैं। उनके जीवन दृष्टिकोण, धैर्य, और आध्यात्मिक संदेश आज भी लोगों को आकर्षित कर रहे हैं।